पॉलीसिस्टिक ओवेरिज़ डिज़ीज़ (PCOD) एक आम हार्मोनल समस्या है जो हर 10 में से 1 महिला को प्रभावित करती है। यह स्थिति अनियमित पीरियड्स, वज़न बढ़ना, और अत्यधिक बालों की ग्रोथ (excessive hair growth) जैसे लक्षणों के रूप में सामने आती है। इसका इलाज आमतौर पर लाइफस्टाइल सुधार, दवाओं, और ज़रूरत पड़ने पर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स के ज़रिए किया जाता है।
हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (hormonal birth control) और लेज़र हेयर रिमूवल (laser hair removal) जैसी विधियाँ आम लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैं। समय पर पहचान और इलाज से महिलाएं इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resistance) और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome) जैसी जटिलताओं के जोखिम को भी कम कर सकती हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम (PCOS) क्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में होने वाली एक आम स्थिति है, जिसमें पॉलीसिस्टिक ओवरीज़ (polycystic ovaries) में कई छोटे-छोटे सिस्ट्स (cysts) बन जाते हैं। यह हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी होती है और इसके कारण महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
PCOS के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- अनियमित पीरियड्स
- चेहरे और शरीर पर ज़्यादा बाल आना (excessive hair growth)
- वज़न बढ़ना
- त्वचा का ऑयली होना (oily skin)
PCOS में अक्सर मेल हार्मोन्स (male hormones) का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है, जिससे अनचाहे बाल (unwanted hair) और बाल झड़ना या पतले होना (thinning hair) जैसे लक्षण उभरते हैं।
इस स्थिति की सही पहचान के लिए ब्लड टेस्ट (blood tests) ज़रूरी होते हैं, ताकि हार्मोन स्तर, इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resistance) और अन्य मेटाबॉलिक पैरामीटर्स को मापा जा सके।
लाइफस्टाइल में बदलाव — जैसे संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज़ और स्ट्रेस मैनेजमेंट — मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome) और बॉडी मास इंडेक्स (body mass index) को बेहतर तरीके से कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम (PCOS) आपके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं के स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में हार्मोनल असंतुलन होने लगता है, जो शरीर में कई बदलावों का कारण बनता है।
PCOS से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सामान्य प्रभाव:
- अनचाहे बालों की ग्रोथ (unwanted hair growth), विशेष रूप से चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर
- वज़न बढ़ना या मोटापा (excess weight), जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है
- पीरियड्स का अनियमित होना और कई बार फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में कठिनाई
- हार्मोनल असंतुलन के कारण चेहरे पर मोटे और गहरे बाल आना
- लंबे समय में हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), हृदय रोग (cardiovascular disease) और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome) का खतरा बढ़ जाता है
PCOS की पहचान आमतौर पर ब्लड टेस्ट (blood tests) से की जाती है, जिससे हार्मोन स्तर और इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resistance) की स्थिति का पता चलता है।
✅ समय पर डायग्नोसिस, वज़न प्रबंधन और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से PCOS से जुड़ी कई जटिलताओं से बचा जा सकता है और संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर किया जा सकता है।
🟣 PCOD क्या है? (What is PCOD?)
PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें महिलाओं की दोनों अंडाशय यानी ओवरीज़ (Ovaries) में छोटे-छोटे सिस्ट्स (Cysts) बन जाते हैं। ये सिस्ट्स सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पाते, जिससे ओवुलेशन (अंडा निकलना) प्रभावित होता है।
इस वजह से शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है — खासकर एंड्रोज़ेन्स (Androgens) नामक मेल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और चेहरे या शरीर पर अनचाहे बाल आने लगते हैं।
🔍 PCOD में क्या होता है?
- ओवरी में कई छोटे फॉलिकल्स (Follicles) बनते हैं, जो पूरी तरह मैच्योर नहीं हो पाते
- ये फॉलिकल्स ओवुलेशन को रोक सकते हैं
- नतीजा: पीरियड्स देर से आना, मिस होना या बहुत कम आना
🩺 PCOD से जुड़े आम लक्षण
(हर महिला को ये सारे लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ कॉमन संकेत हैं:)
- अनियमित पीरियड्स
- चेहरे या शरीर पर हिर्सूटिज़्म (Hirsutism) यानी मोटे बाल
- एक्ने (Acne) या तैलीय त्वचा
- वजन बढ़ना, खासकर पेट के आसपास
- थकान, मूड स्विंग्स, और अनिद्रा
- गर्भधारण में कठिनाई
📊 PCOD कितना आम है?
भारत में हर 5 में से 1 महिला को PCOD से जुड़ी कोई न कोई परेशानी है।
और अच्छी बात ये है कि अगर इसे जल्दी पहचाना जाए और सही जीवनशैली अपनाई जाए — तो इसे पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है।
“PCOD को लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की तरह देखना चाहिए — जहां छोटी आदतें बड़ा बदलाव ला सकती हैं।”
— Dr. Anshu Agarwal, Gynaecologist & Laparoscopic Surgeon, Ranchi
PCOD कोई गंभीर बीमारी नहीं है — लेकिन यदि नजरअंदाज़ किया जाए, तो यह भविष्य में डायबिटीज़, फर्टिलिटी समस्याओं, या हार्मोनल असंतुलन को जन्म दे सकता है। इसलिए सही समय पर डायग्नोसिस और बदलाव ज़रूरी हैं।
🟣 पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम (PCOS) के सामान्य लक्षण क्या हैं और ये क्यों होते हैं?

PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो महिलाओं के ओवरीज़ में सिस्ट्स (cysts) बनने और हार्मोनल असंतुलन (hormonal imbalance) के कारण होता है। यह शरीर के कई हिस्सों पर असर डालता है — पीरियड्स से लेकर स्किन, बाल, वज़न और फर्टिलिटी तक।
यहाँ PCOS के आम लक्षणों के साथ उनके पीछे के कारण (why it happens) और उनके प्रभाव की आसान भाषा में व्याख्या की गई है:
✅ 1. अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) – सबसे पहला संकेत
क्यों होता है?
PCOS में ओवरीज़ में नियमित रूप से एग रिलीज़ नहीं होता (ovulation), जिसकी वजह से मासिक धर्म चक्र बिगड़ जाता है। हार्मोनल गड़बड़ी, जैसे कि फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का असंतुलन, ओवुलेशन को रोक देता है।
कैसे दिखता है:
- पीरियड्स का बार-बार छूटना
- चक्र 35 दिनों से ज़्यादा लंबा होना
- बहुत हल्का या बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होना
✅ 2. चेहरे और शरीर पर ज़्यादा बाल (Excessive Hair Growth / Hirsutism)
क्यों होता है?
PCOS में शरीर में एंड्रोजेन्स (androgens) यानी मेल हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है। इससे उन जगहों पर बाल आने लगते हैं जहाँ सामान्यतः महिलाओं के बाल नहीं होते — जैसे चेहरे, छाती, पेट और पीठ।
कैसे दिखता है:
- ठोड़ी, अपर लिप, पेट या पीठ पर मोटे, काले बाल
- बालों की ग्रोथ पुरुषों की तरह पैटर्न में होती है
✅ 3. एक्ने और तैलीय त्वचा (Acne & Oily Skin)
क्यों होता है?
जब एंड्रोजन हार्मोन्स बढ़ जाते हैं, तो स्किन के ऑयल ग्लैंड्स ज़्यादा सेबम बनाते हैं। इससे चेहरे, छाती और पीठ पर पिंपल्स निकलते हैं।
कैसे दिखता है:
- बार-बार ब्रेकआउट्स होना
- स्किन बहुत ऑयली दिखना
- दवाओं से भी पिंपल्स ठीक ना होना
✅ 4. वज़न बढ़ना और कम न होना (Weight Gain & Resistance to Weight Loss)
क्यों होता है?
PCOS से जुड़ा होता है इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resistance) — यानी शरीर शुगर को सही से प्रोसेस नहीं कर पाता। इससे शरीर पेट के आस-पास चर्बी जमा करने लगता है और वज़न घटाना मुश्किल हो जाता है।
कैसे दिखता है:
- पेट के आसपास फैट जमा होना
- डाइट और एक्सरसाइज़ के बाद भी वज़न न घटना
- जल्दी थकान या ब्लोटिंग महसूस होना
✅ 5. बालों का झड़ना या पतलापन (Thinning Hair or Hair Loss)
क्यों होता है?
जब मेल हार्मोन ज़्यादा बनते हैं, तो वे स्कैल्प पर हेयर फॉलिकल्स को कमजोर कर देते हैं — जिससे बाल पतले हो जाते हैं और धीरे-धीरे झड़ने लगते हैं।
कैसे दिखता है:
- सिर के बीच में बालों का झड़ना
- बालों की पकड़ कमज़ोर होना
- हेयर पार्टिंग ज़्यादा चौड़ी दिखना
✅ 6. गर्भधारण में कठिनाई (Infertility / Difficulty Conceiving)
क्यों होता है?
PCOS में ओव्युलेशन अनियमित या बंद हो जाता है, जिससे नियमित रूप से एग रिलीज़ नहीं होते। इससे प्रेग्नेंसी के चांस कम हो जाते हैं।
क्या हो सकता है:
- महीनों तक ओवुलेशन न होना
- कोशिश करने पर भी गर्भ न ठहरना
- IVF या ओवुलेशन मेडिकेशन की ज़रूरत पड़ना
✅ 7. त्वचा का काला पड़ना (Skin Darkening / Acanthosis Nigricans)
क्यों होता है?
इंसुलिन रेसिस्टेंस से स्किन की रंगत कुछ जगहों पर गहरी हो सकती है। ये आमतौर पर गर्दन, अंडरआर्म्स और जांघों के पास देखा जाता है।
✅ 8. पेल्विक दर्द (Pelvic Pain)
क्यों होता है?
PCOS में ओवरीज़ में बनने वाले सिस्ट्स कभी-कभी सूजन या दबाव का कारण बनते हैं, जिससे निचले पेट में दर्द हो सकता है।
कैसे महसूस होता है:
- पीरियड्स से पहले या बाद में भारीपन
- लंबे समय तक रहने वाला हल्का-तेज़ दर्द
- कभी-कभी ब्लोटिंग भी साथ में
हर महिला के लिए PCOS के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इन संकेतों को पहचानना और समय रहते डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट लेना ज़रूरी है।
Lifestyle बदलाव, weight management, और सही दवाओं से इन लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है
🟣 PCOS और PCOD में क्या फर्क है?
हालाँकि PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) और PCOD (Polycystic Ovarian Disease) को लोग अक्सर एक ही समझते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ बुनियादी अंतर हैं। समझना ज़रूरी है कि दोनों में लक्षण मिलते-जुलते हो सकते हैं, पर उनका प्रभाव, गंभीरता और इलाज में थोड़ा अंतर होता है।
✅ PCOD क्या है?
PCOD यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़ में ओवरीज़ में छोटे-छोटे सिस्ट्स (cysts) बनते हैं। ये सिस्ट्स अंडाणुओं (eggs) की सही परिपक्वता को रोकते हैं, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और कभी-कभी प्रेग्नेंसी में दिक्कत आ सकती है।
यह स्थिति अक्सर खराब लाइफस्टाइल, वजन बढ़ना, और मेटाबॉलिक असंतुलन के कारण होती है। सही खानपान और एक्सरसाइज़ से इसे काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है।
✅ PCOS क्या है?
PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरि सिंड्रोम, एक क्रॉनिक एंडोक्राइन डिसऑर्डर (endocrine disorder) है, जिसमें सिर्फ ओवरीज़ ही नहीं, बल्कि शरीर का पूरा हार्मोनल सिस्टम प्रभावित होता है। इसमें मेल हार्मोन एंड्रोज़ेन्स (androgens) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अनचाहे बाल, एक्ने, वजन बढ़ना, और ओवुलेशन की समस्या होती है।
PCOS आमतौर पर ज्यादा गंभीर होता है और इसका असर सिर्फ फर्टिलिटी नहीं, बल्कि इंसुलिन रेसिस्टेंस, हृदय रोग, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसे बड़े हेल्थ रिस्क से भी जुड़ा होता है।
💬 क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
👉 "PCOS is not just about fertility. It’s a lifelong metabolic condition that requires consistent monitoring."
— Dr. Andrea Dunaif, Chief of Endocrinology, Mount Sinai Source
👉 "The metabolic and cardiovascular risks associated with PCOS make early diagnosis and long-term care essential."
— The Lancet Diabetes & Endocrinology Journal Reference
👉 "PCOD is more of a functional disorder of the ovaries, whereas PCOS is a hormonal disorder with systemic implications."
— Dr. Rekha Sharma, Consultant Gynecologist, AIIMS
PCOD और PCOS दोनों ही महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ से जुड़े हैं, लेकिन PCOS ज़्यादा गंभीर और सिस्टमिक स्थिति होती है। समय पर डायग्नोसिस, लाइफस्टाइल बदलाव, और डॉक्टरी सलाह से दोनों स्थितियों को मैनेज करना संभव है।
अगर आपके लक्षण लंबे समय से बने हुए हैं — जैसे कि अनियमित पीरियड्स, वजन का तेजी से बढ़ना, चेहरे पर बाल, या गर्भधारण में कठिनाई — तो बिना देरी के किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
🟣 आप कैसे जानें कि आपको PCOS है या PCOD?
कई महिलाओं को यह समझ नहीं आता कि उनके पीरियड्स अनियमित क्यों हैं, चेहरे पर बाल क्यों आने लगे हैं, या बार-बार एक्ने क्यों हो रही है। अक्सर ये संकेत PCOD या PCOS से जुड़े हो सकते हैं — लेकिन फर्क समझना ज़रूरी है।
PCOD और PCOS के लक्षण कुछ हद तक मिलते-जुलते हैं, पर उनकी तीव्रता, समय अवधि, और शरीर पर असर अलग होता है।
✅ PCOD के लक्षण (हल्के और अनियमित रूप में)
- पीरियड्स का देरी से आना या कभी-कभी छूट जाना
- हल्के पेल्विक पेन (Pelvic pain)
- वजन में उतार-चढ़ाव
- चेहरे या शरीर पर कुछ जगहों पर बाल उगना
- हल्की एक्ने और ऑयली स्किन
- थकान या मूड स्विंग्स
- तनाव के समय लक्षण बढ़ जाते हैं
➡️ PCOD में अक्सर लाइफस्टाइल में बदलाव से सुधार दिखता है।
✅ PCOS के लक्षण (गंभीर और लंबे समय तक रहने वाले)
- लगातार कई महीनों तक पीरियड्स न आना
- चेहरे, पेट, छाती या पीठ पर मोटे बाल आना (हिर्सूटिज़्म / Hirsutism)
- स्कैल्प के बालों का झड़ना (Hair thinning)
- इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin resistance) — साथ में ज़्यादा भूख लगना और वजन बढ़ना
- ज़िद्दी एक्ने जो दवा से भी ठीक न हो
- गर्भधारण में बार-बार दिक्कत
- गर्दन और अंडरआर्म्स पर त्वचा का काला पड़ना (Acanthosis nigricans)
- लगातार थकान, डिप्रेशन या एंग्ज़ायटी
➡️ PCOS अक्सर शरीर के मेटाबॉलिज़्म को गहराई से प्रभावित करता है और इसके लिए मेडिकल ट्रीटमेंट व हार्मोनल मैनेजमेंट ज़रूरी होता है।
🩺 डायग्नोसिस कैसे होता है? (PCOS या PCOD की पुष्टि कैसे करें)
डॉक्टर आमतौर पर इन तरीकों से पहचान करते हैं:
- ब्लड टेस्ट: हार्मोन लेवल (जैसे एंड्रोजेन्स, इंसुलिन, FSH, LH, थायरॉयड) की जांच
- अल्ट्रासाउंड: ओवरी में सिस्ट्स की संख्या और आकार देखने के लिए
- मासिक धर्म चक्र की हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री की जांच
- BMI और वज़न पैटर्न का विश्लेषण
💬 जैसा कि Dr. Fiona Hutchison, Consultant Gynecologist (NHS UK) कहती हैं:
“Symptoms vary widely, which is why diagnosis must be based on a combination of hormone levels, ovulation pattern, and imaging.”
Source: NHS UK
📌 क्या करें अगर संदेह हो?
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण लगातार महसूस हो रहे हैं, तो:
- 3 महीनों से ज़्यादा समय तक पीरियड्स न आए हों
- एक्ने और हेयर ग्रोथ बढ़ रही हो
- वजन बढ़ता जा रहा हो बिना कारण
- गर्भधारण में दिक्कत हो रही हो
➡️ तो बिना देर किए गायनैकोलॉजिस्ट या एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
🟣 PCOS और PCOD का घरेलू देखभाल प्लान: हर दिन अपनाएं आसान उपाय
PCOS या PCOD की पुष्टि हो जाए तो डरने की ज़रूरत नहीं है — यह एक मैनेजेबल कंडीशन है, बशर्ते आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कुछ बदलाव करें। ज़रूरी नहीं कि हर बार इलाज का मतलब भारी-भरकम दवाइयाँ हो। कई बार छोटे-छोटे घरेलू और जीवनशैली से जुड़े उपाय बड़े असर डालते हैं।
यहाँ बताया गया है एक सिंपल घरेलू देखभाल प्लान, जिसे आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल कर सकती हैं:
✅ 1. सुबह की शुरुआत सही खानपान से करें
🔹 दिन की शुरुआत गुनगुने पानी और थोड़ा नींबू या मेथी पानी से करें – डिटॉक्स और मेटाबॉलिज़्म के लिए फायदेमंद
🔹 नाश्ते में प्रोटीन लें — जैसे उबले अंडे, मूंग दाल चिल्ला, ओट्स, या दही
🔹 प्रोसेस्ड फूड्स और सफेद ब्रेड से परहेज़ करें
“Low-glycemic diet can significantly help in reducing insulin resistance in women with PCOS.”
— Journal of Clinical Endocrinology & Metabolism
✅ 2. रोज़ाना 30 मिनट चलना या योग करें
🔹 तेज़ चाल से वॉक, साइक्लिंग या घर में ही योग
🔹 सूर्य नमस्कार, भुजंगासन और पवनमुक्तासन PCOS के लिए विशेष रूप से लाभदायक
🔹 एक्सरसाइज़ ना सिर्फ वज़न कंट्रोल करती है, बल्कि हार्मोन बैलेंस में भी मदद करती है
“Exercise improves ovulation and reduces androgen levels.”
— Dr. Kathleen Hoeger, Reproductive Endocrinologist, University of Rochester
Source
✅ 3. हर्बल और घरेलू उपाय अपनाएं
🔹 स्पीयरमिंट टी (Spearmint Tea) – रिसर्च बताती है कि यह एंड्रोजन लेवल को कम कर सकती है
🔹 दालचीनी (Cinnamon) – इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर करने में मदद करती है
🔹 मेथी दाना – रोज़ भिगोकर पानी पीना पीरियड्स को रेगुलर करने में सहायक हो सकता है
🔹 अशोका, शतावरी, और लोध्र – आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जो हार्मोनल संतुलन को सुधार सकती हैं (डॉक्टर की सलाह से लें)
“Spearmint tea has anti-androgenic properties beneficial for hirsutism in PCOS.”
— Phytotherapy Research Journal
✅ 4. नींद और तनाव पर नियंत्रण रखें
🔹 रोज़ कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लें
🔹 सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें
🔹 ब्रीदिंग एक्सरसाइज़, प्राणायाम या गाइडेड मेडिटेशन अपनाएं
🔹 “To-do list” से दिन को प्लान करें — इससे overwhelm कम होता है
“Chronic stress worsens hormonal imbalance. Mindfulness is as important as medicine.”
— Dr. Sara Gottfried, Harvard MD, Hormone Specialist
Source
✅ 5. छोटे लेकिन असरदार ट्रैकिंग हैबिट्स बनाएं
🔹 Period tracker app का इस्तेमाल करें — चक्र का पैटर्न समझने में मदद मिलेगी
🔹 हर दिन की भूख, मूड, स्किन की स्थिति और ऊर्जा स्तर को नोट करें
🔹 इनसे आपको खुद के शरीर के संकेत समझने में आसानी होगी
📌 नियमित हेल्थ चेकअप को न भूलें
घरेलू उपाय बहुत कारगर हो सकते हैं, लेकिन हर 6 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफ़ी और डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें। इलाज तभी असरदार होता है जब हम शरीर के अंदर की स्थिति भी समझें।
PCOS और PCOD को आप अपनी लाइफस्टाइल की छोटी-छोटी समझदारी से मैनेज कर सकती हैं। दवा सिर्फ एक हिस्सा है — असली बदलाव तब आता है जब आप अपने शरीर को रोज़ थोड़ा-थोड़ा समझने और संभालने लगती हैं।
रूटीन बनाइए, खुद को समय दीजिए, और हर दिन को एक छोटा स्टेप मानिए।
🌼 PCOS / PCOD मैनेजमेंट – रोज़ का चेकलिस्ट पोस्टर (Daily Wellness Tracker)
(अपनी हर आदत पर ✔ या ❌ लगाएँ)
✅ टिप:
- हफ्ते के अंत में इस चेकलिस्ट को रिव्यू करें और देखें कौन-सी आदत छूट रही है।
- हर ✔ एक पॉइंट के बराबर है — अपने आपको पॉजिटिव मोटिवेशन दीजिए।
✨ आपका शरीर हर दिन आपसे बात करता है। सुनिए, समझिए, और साथ दीजिए।
🟣 PCOD के इलाज से अनचाहे बालों की समस्या कैसे कम हो सकती है?
PCOD (Polycystic Ovarian Disease) में महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन — एंड्रोज़ेन्स (Androgens) — का स्तर बढ़ जाता है। इसका नतीजा होता है – चेहरे, ठोड़ी, छाती या पेट पर मोटे और गहरे रंग के बाल। इसे हिर्सूटिज़्म (Hirsutism) कहा जाता है।
लेकिन अच्छी बात ये है कि सही इलाज और लाइफस्टाइल बदलाव से इस समस्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
✅ 1. हार्मोनल संतुलन का इलाज
🔹 हॉर्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स — यह पीरियड्स को रेगुलर करती हैं और मेल हार्मोन का लेवल घटाती हैं।
🔹 एंटी-एंड्रोजेन (Anti-Androgen) दवाइयाँ — ये शरीर में एंड्रोज़ेन्स के असर को ब्लॉक करती हैं, जिससे नए बाल कम आते हैं और स्किन की स्थिति सुधरती है।
“Treating hormonal imbalance can reduce hirsutism by nearly 40% in 6 months.”
— The Journal of Clinical Endocrinology & Metabolism
✅ 2. लेज़र हेयर रिमूवल – एक लॉन्ग-टर्म विकल्प
🔹 Laser Hair Removal PCOD में होने वाले हार्मोन-संवेदनशील बालों के लिए एक असरदार ट्रीटमेंट है।
🔹 यह बालों की जड़ों (follicles) को टारगेट करता है और समय के साथ उनकी ग्रोथ को धीमा या बंद कर देता है।
🔹 आमतौर पर चेहरे, ठोड़ी, अंडरआर्म्स और पेट के नीचे के हिस्सों में किया जाता है।
💬 डॉ. अंशु अग्रवाल कहती हैं:
"PCOD में लेज़र ट्रीटमेंट तभी असर करता है जब साथ में हार्मोनल ट्रीटमेंट भी लिया जाए। दोनों का कॉम्बिनेशन ही स्थायी असर लाता है।"
✅ 3. वज़न कम करना और इंसुलिन रेसिस्टेंस को ठीक करना
🔹 इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) भी मेल हार्मोन की ग्रोथ को बढ़ाता है, जिससे बालों की समस्या और बिगड़ती है।
🔹 रोज़ाना एक्सरसाइज़, हेल्दी डाइट और वजन कम करना — इनसे शरीर का हार्मोन बैलेंस सुधरता है और बालों की ग्रोथ भी कम होती है।
“Lifestyle modification is a cornerstone of treating PCOD-related hirsutism.”
— Dr. Ricardo Azziz, University of Alabama Research
🏥 Dr. Anshu Agarwal Clinic में पाएं विशेषज्ञ ट्रीटमेंट
अगर आप PCOD के लक्षणों से परेशान हैं — जैसे अनचाहे बाल, अनियमित पीरियड्स, इंसुलिन रेसिस्टेंस, या वजन बढ़ना, तो Ranchi स्थित Dr. Anshu Agarwal Clinic में पाएं संपूर्ण और पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट।
🔹 डॉ. अंशु अग्रवाल के पास महिलाओं के स्वास्थ्य क्षेत्र में 18+ वर्षों का अनुभव है
🔹 क्लिनिक में मिलती है:
– हार्मोनल थेरेपी
– लेज़र हेयर रिमूवल
– जीवनशैली सुधार का गाइडेंस
– फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स
🔹 इलाज पूरी तरह व्यक्ति के हार्मोनल प्रोफाइल और मेडिकल हिस्ट्री पर आधारित होता है
💬 "हर महिला की ज़रूरत अलग होती है। सही निदान, सही गाइडेंस और धैर्य — यही असली इलाज है।" — Dr. Anshu Agarwal

📍 पता: Medifirst Hospital, Ranchi
📞 अपॉइंटमेंट बुक करें:https://dranshuagarwal.com/
🟣 PCOD के इलाज से मिलने वाले दीर्घकालिक लाभ (Long-Term Benefits)
PCOD (Polycystic Ovarian Disease) का सही इलाज केवल तात्कालिक लक्षणों को नहीं, बल्कि आपकी पूरी स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाता है। समय पर इलाज शुरू करने से ना सिर्फ पीरियड्स और त्वचा की समस्याएं सुधरती हैं, बल्कि लंबे समय में प्रजनन स्वास्थ्य, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्थिति में भी स्थायी सुधार आता है।
✅ 1. हार्मोनल संतुलन में सुधार
इलाज से शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोज़ेन्स (Androgens) का स्तर नियंत्रित होता है। इससे:
- चेहरे और शरीर पर अनचाहे बालों में कमी आती है
- एक्ने (Acne) और ऑयली स्किन (Oily skin) धीरे-धीरे सुधरती है
- त्वचा साफ़ और हेल्दी महसूस होती है
✅ 2. मासिक धर्म चक्र की नियमितता
हार्मोन संतुलन बहाल होने से:
- पीरियड्स समय पर आने लगते हैं
- दर्द और भारी रक्तस्राव की समस्या कम होती है
- महिलाओं को अपनी फर्टिलिटी ट्रैक करने में आसानी होती है
✅ 3. फर्टिलिटी और प्रेग्नेंसी रिज़ल्ट्स में सुधार
सही इलाज से ओवुलेशन (Ovulation) नियमित होता है, जिससे:
- गर्भधारण की संभावना बढ़ती है
- प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन कम होते हैं
- ज़रूरत पड़ने पर Follicle Stimulating Hormone (FSH) जैसी थेरेपी से भी कंसीव करना संभव होता है
“With proper treatment, PCOS-related infertility can be successfully managed in over 70% of women.”
— Journal of Human Reproductive Sciences
✅ 4. डायबिटीज़ का जोखिम कम होता है
PCOD से जुड़ी एक आम समस्या है इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance)। इलाज से:
- ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहता है
- टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा घटता है
- शरीर ग्लूकोज़ को बेहतर तरीके से प्रोसेस करता है
✅ 5. स्किन हेल्थ में सुधार
लंबे समय में हार्मोनल ट्रीटमेंट और सही खानपान से:
- एक्ने और ब्लैकहेड्स कम होते हैं
- चेहरा कम ऑयली और ज़्यादा फ्रेश दिखता है
- स्किन की क्वालिटी में स्थायी सुधार होता है
✅ 6. वज़न और मेटाबॉलिक हेल्थ कंट्रोल में आती है
सही इलाज के साथ जब वज़न नियंत्रण में आता है:
- बीएमआई (BMI) संतुलित होता है
- कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन का स्तर बेहतर होता है
- थकान और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं कम होती हैं
✅ 7. एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा घटता है
अनियमित ओवुलेशन और लगातार अनियमित पीरियड्स की वजह से गर्भाशय की लाइनिंग मोटी हो सकती है, जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ता है। लेकिन जब मासिक धर्म चक्र नियमित हो जाता है:
- गर्भाशय की लाइनिंग समय पर निकल जाती है
- कैंसर का खतरा घटता है
- रीप्रोडक्टिव हेल्थ सुरक्षित रहती है
“Long-term anovulation increases cancer risk, but treatment lowers that significantly.”
— Dr. James H. Liu, Chair of Obstetrics, Case Western Reserve University
Source
PCOD का इलाज सिर्फ लक्षणों को दबाने के लिए नहीं है — यह एक जीवनशैली को संतुलित करने की प्रक्रिया है। लंबे समय में इसका असर आपकी स्किन, वजन, फर्टिलिटी, और पूरे शरीर के हार्मोनल सिस्टम पर पड़ता है।
➡️ आज छोटे कदम उठाइए, ताकि आने वाला कल सेहतमंद हो।
🟣 क्या PCOD पूरी तरह ठीक हो सकता है?
ये सवाल हर महिला के मन में आता है — “क्या PCOD हमेशा के लिए खत्म हो सकता है?”
सीधा जवाब है:
👉 PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक मैनेजेबल कंडीशन है, लेकिन फिलहाल इसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है।
लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं — PCOD को इस हद तक कंट्रोल में लाया जा सकता है कि इसके लक्षण बिल्कुल न के बराबर रह जाएं।
✅ PCOD क्यों पूरी तरह ठीक नहीं होता?
🔹 PCOD एक हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) से जुड़ी स्थिति है
🔹 इसका कारण सिर्फ एक नहीं — इसमें इंसुलिन रेसिस्टेंस, एंड्रोज़ेन लेवल, जेनेटिक फैक्टर, और लाइफस्टाइल भी शामिल हैं
🔹 यही वजह है कि यह पूरी तरह खत्म नहीं होता, लेकिन सही मैनेजमेंट से काफ़ी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है
“PCOD is a chronic condition, but not a permanent one. With lifestyle changes and treatment, symptoms can be reversed.”
— Dr. Madhuri Vidyashankar, Consultant Reproductive Endocrinologist
✅ PCOD को कब ‘ठीक’ माना जा सकता है?
अगर आपने ये बदलाव महसूस किए हैं, तो समझिए कि आपने PCOD को कंट्रोल कर लिया है:
- पीरियड्स समय पर आने लगे हों
- एक्ने और हेयर ग्रोथ में कमी आई हो
- वजन स्थिर रहने लगा हो
- थकान और मूड स्विंग्स कम हो गए हों
- फर्टिलिटी में सुधार आया हो
➡️ इनमें सुधार आने का मतलब है कि आपके हार्मोन्स बैलेंस में हैं — और यही PCOD मैनेजमेंट का असली लक्ष्य है।
🔄 तो फिर क्या करें?
इलाज का मकसद "ठीक करना" नहीं, बल्कि "मैनेज करना" होना चाहिए।
PCOD पर कंट्रोल बनाए रखने के लिए ज़रूरी है:
🟢 रोज़ाना व्यायाम करें
🟢 हेल्दी, लो-ग्लाइसेमिक डाइट लें
🟢 स्ट्रेस को मैनेज करें
🟢 डॉक्टर से रेगुलर फॉलो-अप कराते रहें
🟢 हॉर्मोन और ब्लड शुगर की निगरानी रखें
“PCOD management is a marathon, not a sprint.” — Dr. Sara Gottfried, Harvard MD & Hormone Expert
PCOD कोई बीमारी नहीं, एक लाइफस्टाइल सिंड्रोम है। अगर आप इसे समझें, समय दें और नियमित बदलाव लाएं — तो यह आपकी ज़िंदगी को कंट्रोल नहीं करता, बल्कि आप उसे कंट्रोल करने लगती हैं।
✨ सच तो ये है: PCOD का ‘इलाज’ आपकी आदतों में छिपा है।
🟣 PCOD: मिथ बनाम सच्चाई (Myth vs Reality)
💡 Bonus Fact:
“PCOD is not a disease you ‘cure’ once, it’s a condition you live smarter with — every single day.”
— Dr. Anshu Agarwal, Gynaecologist & PCOD Specialist, Ranchi
✨ निष्कर्ष:
PCOD से जुड़ी अफवाहें अक्सर डर और भ्रम फैलाती हैं। सही जानकारी आपके डर को कम करती है, और हौसला देती है कि आप इसे संभाल सकती हैं — एक दिन में नहीं, लेकिन एक-एक दिन करके।